बागवानी के दम पर किसान आर्थिक रुप से समृद्ध हो सकते हैं। दोसा जिला मुख्यालय से 15 किलोमीटर दूर आलूदा छरेड़ा मार्ग पर एक किसान गिरिराज प्रसाद मीणा की तकदीर लोकी, खीरा व तरबूज ने बदल दी। बागवानी में किसान को सफलता मिलती देख दूसरे किसानों ने भी इसकी शुरुआत कर दी है। गिरीराज बताते हैं कि पहले वे बाहर जाकर मजदूरी करते थे , इसके बाद उन्होंने बाजार में खाद बीज की दुकान खोली इस दौरान उन्होंने देखा कि उत्तर प्रदेश के किसान आकर गांव के आसपास के क्षेत्र में लोकी, तरबूज, खरबूजा और ककड़ी की खेती करते हैं।
ऐसे में उन्होंने भी करीब 3 साल पहले 4 बीघा भूमि में लौकी और खीरे की पैदावार ली। इससे खेती से उन्हें 5-6 लाख की आमदनी हुई। वह अपने खेत में हर साल बदल-बदल कर खेती करते हैं। 1 साल उन्होंने लौकी की पैदावार की तो उस खेत पर अगले वर्ष खीरा उत्पादित किया। इसी कड़ी में उन्होंने इस बार तरबूज की पैदावार की है।
उनको इस बार भी करीब 5 लाख रुपए की आय होने की उम्मीद है। वह बताते हैं कि इसी पैदावार से परिवार के पालन पोषण के अलावा बच्चों की शिक्षा आदि के कार्य पूरे हो रहे हैं।
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