बकरियों को रोगों से बचाने के लिए संतुलित आहार दिया जाना जरूरी है ही, साथ ही समय समय पर कर्मी नाशन और टिकाकरण भी कराया जाना चाहिए। गर्मियों में बकरियों में होने वाले प्रमुख रोग और उपचार।
बकरियों में फड़ किया रोग बहुत होता है, इसके लिए अप्रैल मई माह में टीकाकरण कराना बेहद जरूरी है।
गरीब की गाय कही जाने वाली बकरियां प्रदेश के छोटे पशुपालकों की आय का साधन है। एक अनुमान के अनुसार प्रदेश में 2.16 करोड़ से अधिक बकरियां है। प्रदेश की सिरोही जखराना और मारवाड़ी किस्में देश भर में मशहूर है। सही समय पर इनका टीकाकरण कराना जरूरी है। बीमार दिखने पर चिकित्सक से संपर्क करें।
ये टीके लगवाएं :-
मार्च-अप्रैल : खुरपका - मुंहपका
अप्रैल-मई : फड़किया
मई-जून : लंगड़ा बुखार, गलघोंटू
फड़किया : मानसून पूर्व लगाएं टीका :-
इस रोग में बकरी का चक्कर काटना, शरीर में ऐंठन, कंपकपी, श्वांस लेने में परेशानी, आफरा व दस्त ले लक्षण दिखते हैं। चार माह से बड़ी बकरी को मानसून पूर्व टीका जरूर लगवाएं।
पीपीआर : 3 साल में 1 बार टीका जरूरी :-
इसे बकरी प्लेग कहा जाता है। इसमें बुखार, नाक बहना, निमोनिया, खांसी जैसे लक्षण दिखते हैं। 3 साल में एक बार टीका जरूर लगवाएं।
इस रोग में बकरी का चक्कर काटना, शरीर में ऐंठन, कंपकपी, श्वांस लेने में परेशानी, आफरा व दस्त ले लक्षण दिखते हैं। चार माह से बड़ी बकरी को मानसून पूर्व टीका जरूर लगवाएं।
पीपीआर : 3 साल में 1 बार टीका जरूरी :-
इसे बकरी प्लेग कहा जाता है। इसमें बुखार, नाक बहना, निमोनिया, खांसी जैसे लक्षण दिखते हैं। 3 साल में एक बार टीका जरूर लगवाएं।