एक बार एक अमीर आदमी अपने बेटे के साथ कहीं पर जा रहा था। तभी उसने रास्ते में एक जोड़ी पुराने जूते देखें जो संभवत पास के खेत में काम कर रहे गरीब मजदूर के थे। मजदूर काम खत्म करके घर लौटने की तैयारी कर रहा था तभी बेटे ने अमीर पिता से कहा कि पिताजी क्यों ना इन जूतों को छुपा दे। मजदूर को परेशान देखकर बड़ा मजा आएगा। आदमी ने गंभीर होकर कहा कि किसी का मजाक उड़ाना सही बात नहीं है। इसके बजाय क्यों ना हम इन जूतों में कुछ सिक्के डाल दें और देखें कि मजदूर पर क्या प्रभाव पड़ता है। बेटे ने वैसा ही किया और फिर पिता बेटे छिपकर मजदूर को देखने लगे काम खत्म करके आये मजदूर ने जब जूते पहने तो उसे किसी कठोर चीज का आभास हुआ। उसने जूतों को पलटा तो उनमें से सिक्के निकल आए। मजदूर ने इधर उधर देखा जब उसे कोई नजर नहीं आया तो उसने सिक्के अपनी जेब में डाल लिए और बोला कि हे भगवान उस अनजान सहायक का धन्यवाद जिसने मुझे यह सिक्के दिए। उसके कारण आज मेरे परिवार को खाना मिल सकेगा। मजदूर की बातें सुनकर बेटे की आंखें भर आई और वह अपने पिता से बोला कि सच है लेने की अपेक्षा देना कहीं अधिक आनंददाई होता है।
Moral - किसी को कोई खुशी देने से बढ़कर और कोई सुख नहीं होता।
Moral - किसी को कोई खुशी देने से बढ़कर और कोई सुख नहीं होता।