प्रदेश में इन दिनों गेहूं, सरसों फसल की कटाई हो चुकी है और काश्तकारों ने खेतों में खाली पड़े खेतों में जायद मूंग की बुवाई करना शुरू कर दिया है। किसान जायद में मूंग का उत्पादन कर अतिरिक्त मुनाफा कमा सकते हैं। मूंग की खेती रबी व खरीफ के बीच के खाली समय में आय देने के साथ भूमि की उर्वरा शक्ति बढ़ाने में सहायक है। विशेषज्ञों का कहना है कि किसानों को फसल चक्र अपनाना चाहिए। लगातार एक ही फसल की बुवाई नहीं करनी चाहिए। इसके लिए जायद में मूंग की खेती बेहतर विकल्प है। जायद मूंग की बुवाई के लिए मार्च से अप्रैल अंत तक का समय उपयुक्त है। इसकी नरेंद्र मूंग वन जैसी कुछ किस्मों की बुवाई अप्रैल अंत तक भी की जा सकती है। इस के अंकुरण के लिए उचित तापमान होना आवश्यक है। यह फसल 60-65 दिन में पक जाती है।
मृदा उपचार :- भूमिगत कीटों व दीमक की रोकथाम के लिए बुवाई से पहले एंडोसल्फान 4% या क्युनालफोस 1.5% चूर्ण 25 किलो प्रति हेक्टेयर की दर से भूमि में मिलाएं।
बीज दर :- 1 हेक्टेयर क्षेत्र में बुवाई के लिए 15 से 20 किलोग्राम बीज पर्याप्त है। कतार से कतार की दूरी 25 से 30 सेमी, पौधे से पौधे की दूरी 10 से 15 सेमी रखें।
बीजोपचार :- 3 ग्राम पारद फफूंद नाशी या कैप्टन या 2 ग्राम थायरम या 5 ग्राम इमिडाक्लोप्रिड प्रति किलो बीज के हिसाब से उपचारित कर बुवाई करनी चाहिए।
ऐसे करें बुवाई :- जायद मूंग की अधिक उपज देने वाली किस्मों का चयन करें। दुबई के लिए एक या दो बार जुताई करके तैयार रखें। जैव उवर्रकों का प्रयोग करे। फसल को हमेशा खरपतवार रहित रखें और समय पर पहली सिंचाई करें।
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